प्युजोट 309 जी.टी.आई.16
स्मरणपत्र : शेर को पिजडे से न निकलने दो!
हाट हैच कार की शुरुआत सन 1970 में हुई थी और 1980 में कार निर्माताओं ने बाज़ार में अपनी अपनी हाट हैच कार प्रस्तुत कर दी।]
सिडान बाडी होने के बावजूद सिमका रैले कार को हम पहली असल हाट हैच कार कहेंगें जो कि यूरोप में प्रस्तुत की गयी। मगर इसकी शुरुआत हुई जब वोल्सवैगन ने अपनी गोल्फ कार की हैचबैक प्रतिरूप जी.टी.आई. को बडी मात्रा में 1976 में प्रस्तुत किया। इस कार की सफलता की वजह से सारी कार निर्माता कम्पनियां अपनी अपनी हाट हैचकार बाज़ार में लाने की होड में लग गईं।
प्युजोट भी अपनी प्युजोट 205 जी.टी.आई. कार के साथ सन 1984 में इस दौड में शामिल हो गयी, हालांकि प्युजोट पहले ही एक हाट हैच कार बाज़ार में प्रस्तुत कर चुकी थी, प्युजोट 14 ज़ेड.एस.2। इस कार की सफलता हे झंडे गाडे और गोल्फ जी.टी.आई. को अच्छी टक्कर देने लगी। सन 1985 में रेनाल्ट ने रेनाल्ट 5 जी.टी. टर्बो प्रस्तुत की और यह कार 205 से ज़्यादा शक्तिशाली थी। मार्च 1986 में प्युजोट ने 205 जी.टी.आई. में 1.6ली इंजन जो कि 115 हार्स पावर का था, लगाकर प्रतिद्वंदियों को टक्कर दी, बाद में प्युजोट ने दिसंबर 1986 में प्युजोट 205 जी.टी.आई. 1.9 को प्रस्तुत किया, इसमें 130 हार्स पावर का इंजन था।
हालांकि वोल्सवैगन गोल्फ का आकार बडा हो गया, यूरोप में 1985 में प्रस्तुत प्युजोट 309 ही एक मात्र कार थी जो कि इसे टक्कर दे सकती थी क्योकि यह 205 से बडी थी। प्युजोट ने 1987 में प्युजोट 309 जी.टी.आई. को प्रस्तुत किया। इस कार में 1.9 ली. का इंजन था जो कि 130 हार्स पावर की क्षमता वाला था, यही इंजन 205 जी.टी.आई. 1.9 में भी लगा हुआ था। वोल्सवैगन गोल्फ जी.टी.आई. मार्क दो कार अपने पूर्वजों से भी बडी और भारी थी और वोल्सवैगन यह भली भांति जानता था कि सिर्फ प्युजोट ही इसको टक्कर दे सकता था। असल में 205 जी.टी.आई. ने गोल्फ जी.टी.आई. को बाज़ार में परास्त कर दिया था। वोल्सवैगन ने एक कदम आगे बढकर फैसला किया और 16 वाल्व वाली गोल्फ जी.टी.आई. को प्रस्तुत किया। गोल्फ जी.टी.आई. 16वी अधिक शाक्तिशाली कार थी जिसकी वजह से प्युजोट थोडे समय के लिए पीछे चला गया।
सन 1989 मेम प्युजोट ने प्युजोट 309 मार्क दो को प्रस्तुत किया और सन 1989 के आखिरी दिनों में प्युजोट 309 जी.टी.आई.16 को भी बाज़ार में प्रस्तुत कर दिया। इस कार में 405 एम.आई.16 इंजन था जो 160 हार्स पावर क्षमता का था। यह कार एक बम की तरह थी जो बहुत शक्तिशाली थी और एक स्पोर्टस कार की तरह थी। इस कार में कुछ कमियां भी थीं जैसे कि इसका दाम ज़्यादा था और यह देखने में भी बहुत अच्छी नही थी। स्पोर्टस कार पत्रिकाएं यह शिकायत कर रही थीं कि यह कार बहुत ज़्यादा स्पोर्टी है और इसे रोज चलाने में जोखिम है।
प्युजोट 309 जी.टी.आई.16 को स्पोर्टस पत्रिकाओं ने एक सबसे अच्छी हाट हैच कार के रूप में प्रस्तुत किया मगर दुर्भाग्यवश यह कार यूरोप (फ्रांस को छोडकर) में ज्यादा नहीं बिकी क्योकि इसका मूल्य बहुत ज़्यादा था और इसका इंटीरियर भी उतना अच्छा नहीं था।
प्युजोट को लगता था कि प्युजोट 309 जी.टी.आई16 यू.के. में खूब बिकेगी क्योंकि ब्रिटेन के लोगों को हाट हैच कार पसंद थी। दुर्भाग्यवश प्युजोट इस सपने को साकार नहीं कर पायी। इसकी वजहे बहुत ही साधारण थी : इंजन बहुत ही बडा था और इंजीनियरों ने बहुत थोडे बदलाव के बाद इंजन को 309 में लगा दिया था। इस वजह से यह आर्थिक रूप से अव्यवहारिक था कि इस कार का आर.एच.डी. संस्करण प्रस्तुत किया जा सके। प्युजोट यू.के. के बाज़ार को भूलना नहीं चाहता था क्योंकि यह बाज़ार उनके लिए बहुत ही वफादार था। प्युजोट ने सन 1991 में प्युजोट 309 जी.टी.आई. का गुडवुड संस्करण सिर्फ यूके के बाज़ार में प्रस्तुत किया। यह माफी मांगने का एक अच्छा तरीका था….