प्रथम अध्याय

क्रिसलर सिमका कार बन गयी टालबोट

जुलाई 10, 1978 को पी.एस.ए. (प्युजोट सोसाइटी अनोनिम) ने क्रिसलर यूरोप को खरीद लिया था। क्रिसलर यूरोप कम्पनी क्रिसलर फ्रांस (सिमका), क्रिसलर य़ू.के. (रूटीस-सनबीम) और क्रिसलर इस्पाना (बैरिएरोस) से मिलकर बनी थी। समझौते के मुताबिक प्युजोट को एक वर्ष के भीतर ही इसका नाम बदलना था, मगर वह क्रिसलर नाम नहीं रख सकती थी क्योकि यह नाम पहले से ही क्रिसलर यू.एस.ए. के नाम था। इस वजह से प्युजोट ने सभी ब्रांड नामो को एक में ही सम्मिलित करने का फैसला किया और उनका एक नाम रख दिया। वह यह चाहते थे कि एक ऎसा नाम हो जो पहले से ही प्रसिद्ध हो और अन्त में सन 1979 में सहमति के मुताबिक ब्रांड का नाम टालबोट रख दिया गया।
असल में यह नाम एक पुराने ब्रांड के नाम से उभर कर सामने आया जो 1902 में फ्रांस में और 1903 में इंग्लैड में कार बनाया करती थी। टालबोट को आर्थिक हानियों के चलते, उसकी फ्रांस स्थित इकाई एन्थोनी लागो (जिसको कुछ वर्ष बाद सिमका ने खरीद लिया) ने खरीदा और इंग्लैड स्थित इकाई रूट्स ग्रुप ने खरीद लिया। अंततः टालबोट मार्क्यूस को कि कम्पनी की एक शुरुआत थी, का जल्द ही दोनों देशों में अन्त हो गया। मगर प्युजोट के लिए स्थिति तब स्पष्ट हो गयी जब उसने जाना कि इंग्लैड के लोग टालबोट को इंग्लैंड की कार मानते थे और फ्रांस के लोग उसे फ्रांस की कार मानते थे। संक्षेप में, उसमें वह सब कुछ था जो प्युजोट को चाहिए था, और यूनाइटेड किंगडम में उसकी लोकप्रियता भी काफी थी।
इस प्रकार 10 जुलाई को क्रिसलर सिमका कार टालबोट सिमका कार में परिवर्तित हो गयी और वृहद अभियान का शुभारम्भ यूरोप में शुरू हुआ।
अगस्त में, सिमका 1307 और 1308 की अगली और पिछली लाइटों मे तथा उसके डेशबोर्ड में कुछ फेरबदल करने के बाद उनका नाम टालबोट 1510 और टालबोट अल्पाइन रख दिया गया।
मार्च 1980 में टालबोट ने नई टालबोट सोलारा को बाज़ार में उतारा मगर यह वास्तव में एक टालबोट अल्पाइन ही थी मगर बूट के साथ। इस समय तक प्युजोट को इस बात का अंदाज़ा नही था कि वास्तव में उसके ग्राहक कम हो जाएंगे क्योकि टालबोट अल्पाइन बेची तो जा रही थी मगर सिमका और क्रिसलर के बैज अभी भी उसकी ग्रिल और स्टीयरिंग व्हील पर थे। जब टालबोट सोलारा को बाज़ार में प्रस्तुत किया गया तो उसके बूट में सिमका का बैज था और उसकी चाभी पर क्रिसलर का चिन्ह छपा हुआ था।
फिर अचानक ही टालबोटा कारे जो कि वैभव का प्रतीक मानी जाती थीं, आम लोगों की भी पसन्द बन गयी. अंततः प्युजोट ने 1981 में सारी टालबोट कारों में सिर्फ टालबोट का ही चिन्ह लगा दिया, और वह हुआ जो नहीं होना चाहिए था, कारों की बिक्री एकदम से बहुत कम हो गयी जिसकी वजह से प्युजोट को 4000 कर्मियों की छुट्टी करनी पड गयी। फ्रांस में हडतालो के चलते टालबोट और भी भुगती और बिक्री और कम होती चली गयी।

सी-28 प्युजोट का फ्यूचर बना

सन 1983 में एक नई कार ने टालबोट की सारी मुश्किलें दूर कर दीं। इस कार से प्युजोट को गहरी आशाएं थीं, बिक्री को बढाने की। इस कार को पी.एस.ए. सन 1982 से बना रहा था, और इसका नाम दिया गया, सी-28।
टालबोट की पोसी स्थित फैफ्ट्री में कामगारों को शांत करने के लिए फ्रांस के प्रधान मंत्री, श्री पाइरे माउरोय ने दिसम्बर 1983 में आधिकारिक रूप से ऎलान किया कि टालबोट की नई कार अब ज़्यादा रोज़गार पैदा करने में मदद करेगी। मगर प्युजोट का लक्ष्य वास्तव में यह नहीं था। प्युजोट ने टालबोट में निवेश तो किया मगर नई कार वास्तव में उम्दा साबित नहीं हुई। अंततः प्युजोट ने सन 1984 में टालबोट को बंद कर दिया।
सन 1983 में असल में सी-28 एक ऎसी कार थी जिसका सीधा सम्बन्ध प्युजोट 205 से था। 1984 में कम्पनी ने कार के 28 प्रारूप तैयार करवाये थे, उसमें से एक एक प्रारूप की कीमत लगभग छः लाख पौंड था। निवेश तो वाकई में बहुत ज़्यादा था, और लगातार इस बात के दोहराने के बावजूद कि नई कार या तो प्युजोट या फिर टालबोट के बैनर तले प्रस्तुत की जएगी, प्युजोट को इस बात से कोई परेशानी नहीं थी कि सी-28 के ग्रिल पर किस कम्पनी का चिन्ह लगाया जाएगा…

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